बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की राजनीतिक तैयारियां तेज हो रही हैं। पिछले, यानी 2020 के चुनाव से अबतक कई बार दलगत स्थितियां बदली हैं। पेच यह कि कागज पर कुछ और, वास्तविकता में कुछ और ताकत है सत्ता-विपक्ष की।
बिहार विधानमंडल का सत्र आज, 25 नवम्बर से शुरू हो रहा है। शुक्रवार 29 नवम्बर तक यह सत्र चलेगा। शनिवार 23 नवंबर की मतगणना के बाद बिहार विधानसभा के लिए चुनकर आए नए चार विधायक सोमवार से सत्ता के खेमे में अपनी भागीदारी शुरू करेंगे। विधानसभा में इन चार नए विधायकों के कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA MLA in Bihar Assembly) की ताकत और बढ़ जाएगी। महागठबंधन सरकार गिरने और 2020 के जनादेश के आधार पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकारी की वापसी के बाद 12 फरवरी को फ्लोर टेस्ट हुआ था। इससे पहले राजग की ताकत ठीकठाक थी, लेकिन राष्ट्रीय जनता दल के ‘खेला होगा’ वाली बात उलट गई और सत्ता की ताकत उस दिन ज्यादा बढ़ गई। इसलिए, पांच दिवसीय शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले यह जानना बेहद रोचक है कि 2020 से अबतक क्या-कुछ हुआ कि जितना कागज पर राजग मजबूत है, उससे ज्यादा वास्तव में। फिलहाल तो यह बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सत्ता का मनोबल मजबूत करने वाली स्थिति है।
पहले यह जानें कि कागज पर कैसे बदलती रही संख्या
बिहार विधानसभा में मौजूदा विधायकों की दलगत संख्या 2020 चुनाव परिणाम के बाद से कई बार बदली। कभी विधायक के निधन से तो कभी किसी की विधायकी जाने के कारण और फिर निर्वाचित विधायक के सांसद बन जाने के कारण।
राजद के खेमे से चार निकले, खाते से नहीं
243 विधायकों का कागजी हिसाब जानने के बाद अब यह जानना रोचक है कि 12 फरवरी को नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार को विश्वास मत में हराने की तैयारी करने वाले महागठबंधन को जोर का झटका लगा था। फ्लोर टेस्ट के समय तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के साथ खेला की आस लगाए बैठे थे, लेकिन गेम उलटा पड़ गया था। राजद के तीन विधायक चेतन आनंद, प्रह्लाद यादव व नीलम देवी जदयू, जबकि एक एमएलए संगीता कुमारी भाजपा के साथ बैठ गए। राजद ने अपने चारों विधायकों को कागज पर अपने साथ देखना पसंद किया।विधायकी खत्म करने को लेकर प्रयास विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने भी नहीं किया।