बिहार के जमुई जिले में पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा किए गए एक सफल ऑपरेशन में 2 लाख रुपये के इनामी नक्सली मतला कोड़ा को गिरफ्तार किया गया है। मतला कोड़ा, पुलिस पर हमलों और नक्सल गतिविधियों में शामिल होने के साथ-साथ झारखंड और बिहार के कई इलाकों में आतंक फैलाने के आरोपों में वांछित था।
1. मतला कोड़ा की गिरफ्तारी की पृष्ठभूमि
- मतला कोड़ा एक कुख्यात नक्सली है, जो बिहार-झारखंड क्षेत्र में नक्सल संगठनों को बढ़ावा देने और लोगों को भर्ती करने में शामिल था।
- उसकी गिरफ्तारी जमुई, लखीसराय, मुंगेर और झारखंड के कई थानों में दर्ज मामलों के आधार पर की गई। मतला कोड़ा के खिलाफ बिहार और झारखंड में आधा दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं।
2. नक्सल संगठन में मतला कोड़ा की भूमिका
- मतला कोड़ा पूर्वी बिहार-पूर्वोत्तर झारखंड स्पेशल एरिया कमेटी का सक्रिय सदस्य था।
- वह झारखंड के पारसनाथ की पहाड़ियों में भाकपा (माओवादी) संगठन के पोलित ब्यूरो के सदस्यों, जैसे कि प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा और सहदेव सोरेन उर्फ परवेज दा, के साथ मिलकर काम कर रहा था।
- मतला कोड़ा का मुख्य कार्य नक्सली संगठन को मजबूत करना और नई भर्ती करना था, विशेष रूप से भीमबांध क्षेत्र में।
3. पुलिस द्वारा नक्सल रोधी अभियान की योजना और सफलता
- पुलिस अधीक्षक चंद्र प्रकाश ने बताया कि पुलिस को मतला कोड़ा की गतिविधियों की जानकारी मिलने के बाद एक विशेष नक्सल विरोधी अभियान शुरू किया गया।
- इस अभियान में विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों ने जंगलों में सघन तलाशी अभियान चलाया, जिसमें मतला कोड़ा की गिरफ्तारी संभव हो सकी।
- अपर पुलिस अधीक्षक (अभियान) ओंकार नाथ सिंह के नेतृत्व में पुलिस की टीम ने पूरे इलाके की घेराबंदी की और सघन जांच के बाद उसे गिरफ्तार किया गया।
4. मतला कोड़ा के खिलाफ दर्ज मामले
- मतला कोड़ा के खिलाफ बिहार और झारखंड के विभिन्न थानों में सात से अधिक मामले दर्ज हैं, जिसमें हत्या, पुलिस पर हमला, नक्सल गतिविधियों में संलिप्तता आदि शामिल हैं।
- बरहट थाना क्षेत्र में स्थानीय निवासी मदन कोड़ा और प्रमोद कोड़ा की हत्या के मामले में भी मतला कोड़ा का नाम दर्ज है। यह घटना 3 मार्च 2018 को हुई थी।
5. पुलिस मुठभेड़ों में मतला कोड़ा की संलिप्तता
- 13 जून 2018 को लखीसराय जिले के कजरा थाना क्षेत्र में सीआरपीएफ की कोबरा 207 बटालियन और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस मुठभेड़ में भी मतला कोड़ा की सक्रिय भागीदारी रही थी।
- 16 नवंबर 2018 को कजरा थाना क्षेत्र के बांकुड़ा गांव के पास सीआरपीएफ की बटालियन के साथ मतला कोड़ा और उसके नक्सली साथियों की मुठभेड़ हुई थी।
- 12 अक्टूबर 2019 को लखीसराय जिले के पीरी बाजार थाना क्षेत्र में मणियारा फिटकोरिया पहाड़ी के पास नक्सलियों और पुलिस के बीच हुई मुठभेड़ में भी मतला कोड़ा शामिल था। इस मुठभेड़ में नक्सली कमांडर परवेज दा भी मौजूद था।
6. मतला कोड़ा का भागने का इतिहास
- 17 मई 2022 को झारखंड के मधुबन थाना क्षेत्र में भारी मात्रा में नक्सली सामग्री बरामद की गई थी, जिसमें मतला कोड़ा शामिल था, लेकिन वह गिरफ्तारी से बच निकला।
- 16 जनवरी 2023 को गिरीडीह जिले के डूमरी थाना क्षेत्र में पुलिस ने नक्सली कृष्णा हांसदा को पकड़ा, लेकिन मतला कोड़ा वहां से फरार होने में सफल रहा था।
7. गिरफ्तारी की प्रक्रिया
- मतला कोड़ा की गिरफ्तारी के लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया था, जिसमें जमुई सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सतीश सुमन, एसटीएफ डीएसपी, बरहट थानाध्यक्ष, सीआरपीएफ 215 बटालियन और एसएसबी बटालियनों की टीम शामिल थी।
- पुलिस ने मुसहरीटांड़ क्षेत्र में तलाशी के दौरान उसे देखा, जब वह पहाड़ी की ओर भागने की कोशिश कर रहा था। टीम ने उसे दौड़ाकर गिरफ्तार कर लिया।
8. नक्सली संगठन का बिहार-झारखंड क्षेत्र में प्रभाव
- बिहार और झारखंड के कई इलाकों में नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) की गतिविधियाँ लंबे समय से चल रही हैं। यह संगठन आदिवासी और ग्रामीण इलाकों में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए नए सदस्यों की भर्ती करता है।
- मतला कोड़ा की गिरफ्तारी नक्सल संगठन के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि वह संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा था।
- पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों का नक्सल विरोधी अभियान इन क्षेत्रों में नक्सल प्रभाव को कमजोर करने के लिए लगातार जारी है।
9. पुलिस की प्रतिक्रिया और भविष्य की योजना
- पुलिस अधीक्षक चंद्र प्रकाश ने कहा कि मतला कोड़ा की गिरफ्तारी नक्सल विरोधी अभियानों की सफलता का संकेत है और यह इस बात का प्रमाण है कि सुरक्षा बल इन क्षेत्रों में सक्रिय नक्सल तत्वों को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
- उन्होंने यह भी बताया कि आने वाले समय में नक्सली गतिविधियों पर और अधिक कठोर कार्रवाई की जाएगी ताकि क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
10. नक्सलवाद से निपटने की चुनौतियाँ
- बिहार और झारखंड के पहाड़ी और ग्रामीण इलाकों में नक्सलियों से निपटना हमेशा से एक चुनौती रहा है। इन क्षेत्रों में पुलिस के लिए नक्सलियों का पता लगाना और उन्हें गिरफ्तार करना कठिन होता है, क्योंकि वे दुर्गम और जंगलों से भरे इलाकों में छिपे रहते हैं।
- नक्सलियों के पास हथियारों और विस्फोटकों की पर्याप्त आपूर्ति होती है, जो उन्हें स्थानीय प्रशासन के खिलाफ मजबूत बनाती है। इसलिए, ऐसे अभियानों में पुलिस को अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ती है।
11. सुरक्षा बलों की बढ़ती तत्परता
- हाल के वर्षों में पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने नक्सलियों के खिलाफ अभियानों में अपनी रणनीति और क्षमता को मजबूत किया है।
- सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन और एसएसबी जैसे अर्धसैनिक बलों की सहायता से राज्य पुलिस अब बेहतर ढंग से नक्सलियों का मुकाबला कर रही है।
12. नक्सलवाद का भविष्य और सरकारी रणनीति
- बिहार और झारखंड में नक्सलवाद का मुद्दा लंबे समय से चला आ रहा है, लेकिन हाल के दिनों में सरकार की सक्रियता और सुरक्षा बलों की मजबूत उपस्थिति के कारण नक्सली संगठन कमजोर हो रहे हैं।
- सरकार की योजना अब नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों को बढ़ावा देने की है, ताकि इन क्षेत्रों में नक्सली संगठनों के लिए समर्थन की कमी हो जाए और स्थानीय लोगों को बेहतर अवसर मिल सकें।
13. गिरफ्तारी का महत्व
- मतला कोड़ा जैसे बड़े नक्सलियों की गिरफ्तारी से न केवल नक्सल संगठनों को कमजोर किया जा सकता है, बल्कि इससे सरकार और सुरक्षा बलों को इन संगठनों की अंदरूनी जानकारी भी मिल सकती है।
- इन गिरफ्तारियों से नक्सलियों की भविष्य की योजनाओं का खुलासा किया जा सकता है, जिससे सुरक्षा बल उन्हें समय रहते रोक सकेंगे।
निष्कर्ष:
मतला कोड़ा की गिरफ्तारी बिहार-झारखंड क्षेत्र में नक्सल विरोधी अभियानों के लिए एक बड़ी सफलता है। यह न केवल एक महत्वपूर्ण नक्सली कमांडर को कानून के शिकंजे में लाने का मामला है, बल्कि यह भी दिखाता है कि पुलिस और सुरक्षा बल नक्सलियों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। नक्सलियों के खिलाफ इस प्रकार के अभियानों से बिहार और झारखंड में शांति और स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है।