बिहार के खान-पान में यदि किसी एक व्यंजन का नाम सबसे पहले लिया जाता है, तो वह है लिट्टी-चोखा। यह न केवल बिहार की प्रसिद्ध और पारंपरिक डिश है, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है। लिट्टी-चोखा का स्वाद जितना लाजवाब है, उतनी ही दिलचस्प इसकी तैयारी और इसकी ऐतिहासिक व सांस्कृतिक पृष्ठभूमि है। इस व्यंजन का हर निवाला बिहार के ग्रामीण और शहरी जीवन की झलक देता है।
लिट्टी-चोखा का परिचय
लिट्टी-चोखा एक पारंपरिक बिहार का व्यंजन है, जिसे मुख्य रूप से गेहूं के आटे और सत्तू (भुने हुए चने का पिसा हुआ आटा) से बनाया जाता है। लिट्टी को तंदूर में या अंगारों पर पकाया जाता है, और इसे चोखा के साथ परोसा जाता है। चोखा आलू, बैंगन, और टमाटर से बनाया जाने वाला एक तरह का मसालेदार भुर्ता होता है। लिट्टी के भीतर सत्तू भरकर इसे गोल आकार दिया जाता है, फिर इसे घी में डुबोकर परोसा जाता है, जिससे इसका स्वाद और भी लजीज हो जाता है।
लिट्टी-चोखा का मजा केवल इसकी सादगी और पारंपरिक स्वाद में नहीं है, बल्कि इसमें छिपी है बिहार की एक लंबी सांस्कृतिक परंपरा और जीवनशैली की झलक।
लिट्टी-चोखा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
लिट्टी-चोखा की उत्पत्ति का इतिहास बिहार के गांवों से जुड़ा हुआ है। यह व्यंजन प्राचीन काल से बिहार और उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में लोकप्रिय रहा है। इसका संबंध उन दिनों से है जब किसान और मजदूर लोग अपने काम के दौरान सरल और पौष्टिक भोजन की तलाश में रहते थे।
लिट्टी-चोखा का सादगीपूर्ण और पौष्टिक होना इसे मजदूरों और किसानों का पसंदीदा भोजन बनाता था। इसे तैयार करने के लिए अधिक समय या विशेष सामग्री की आवश्यकता नहीं होती, और यह लंबे समय तक खराब भी नहीं होता। यही कारण है कि लिट्टी-चोखा बिहार के मेहनती लोगों के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया।
1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, यह भोजन भारतीय सैनिकों और स्वतंत्रता सेनानियों के बीच भी प्रसिद्ध हुआ। इसके पीछे एक मुख्य कारण यह था कि लिट्टी आसानी से उपलब्ध और टिकाऊ थी। इसे बिना किसी खास बर्तनों या उपकरणों के कहीं भी बनाया जा सकता था, और इसके साथ चोखा का स्वाद इसे और भी संतोषजनक बनाता था।
लिट्टी-चोखा की पारंपरिक महत्व
लिट्टी-चोखा न केवल भोजन का हिस्सा है, बल्कि यह बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश की संस्कृति और परंपरा का भी प्रतीक है। इसे गांवों में पारिवारिक समारोहों, त्यौहारों और विशेष अवसरों पर भी बनाया जाता है। चाहे वह छठ पूजा हो या कोई ग्रामीण उत्सव, लिट्टी-चोखा हर घर की रसोई में एक अहम स्थान रखता है।
छठ पूजा के दौरान, बिहार के अधिकांश घरों में लिट्टी-चोखा बनाया जाता है। यह पूजा बिहार का सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण त्यौहार है, और इस दौरान बनाए जाने वाले पारंपरिक भोजन में लिट्टी-चोखा विशेष स्थान रखता है। बिहार में, इसे खास मौके पर खाने से समृद्धि और उन्नति का प्रतीक माना जाता है।
इसके अलावा, ग्रामीण मेलों और हाट बाजारों में लिट्टी-चोखा की विशेष धूम रहती है। ऐसे आयोजनों में लिट्टी-चोखा का स्टॉल लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह व्यंजन पारिवारिक और सामुदायिक संबंधों को मजबूत करता है, जहाँ लोग एक साथ मिलकर इसे बनाते और खाते हैं।
लिट्टी-चोखा की रेसिपी: एक पारंपरिक तरीका
लिट्टी-चोखा बनाने के लिए बहुत सारी सामग्रियों की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन इसे बनाने की प्रक्रिया सरल होते हुए भी एक अनूठी विधि से गुजरती है। इसे पारंपरिक तरीके से बनाने के लिए नीचे दी गई सामग्री और विधि को देखा जा सकता है:
सामग्री:
लिट्टी के लिए:
- गेहूं का आटा – 2 कप
- सत्तू (भुने चने का पिसा हुआ आटा) – 1 कप
- अदरक – 1 इंच का टुकड़ा, कटा हुआ
- हरी मिर्च – 2-3, कटी हुई
- हरा धनिया – कटा हुआ
- नींबू का रस – 1 बड़ा चम्मच
- सरसों का तेल – 2 बड़े चम्मच
- अजवाइन – 1 चम्मच
- नमक – स्वादानुसार
- पानी – आवश्यकतानुसार (आटा गूंधने के लिए)
चोखा के लिए:
- बैंगन – 1 बड़ा
- आलू – 3 मध्यम आकार के
- टमाटर – 2 मध्यम आकार के
- हरी मिर्च – 2-3, बारीक कटी हुई
- लहसुन – 4-5 कलियाँ
- प्याज – 1 मध्यम आकार का, बारीक कटा हुआ
- सरसों का तेल – 1 बड़ा चम्मच
- हरा धनिया – कटा हुआ
- नमक – स्वादानुसार
विधि:
लिट्टी बनाने की विधि:
- सबसे पहले गेहूं के आटे में थोड़ा नमक और अजवाइन मिलाकर इसे अच्छी तरह से गूंध लें।
- सत्तू में अदरक, हरी मिर्च, हरा धनिया, नींबू का रस, सरसों का तेल और नमक डालकर एक मिश्रण तैयार करें।
- आटे की छोटी-छोटी लोइयाँ बनाकर उनके बीच सत्तू का मिश्रण भरें और गोल आकार दें।
- इन गोल लिट्टी को तंदूर में या अंगारों पर धीमी आँच में सेंक लें। अगर तंदूर उपलब्ध न हो तो इसे ओवन में भी बेक किया जा सकता है।
- लिट्टी जब सुनहरे रंग की हो जाए, तब इसे निकालें और घी में डुबोकर परोसें।
चोखा बनाने की विधि:
- बैंगन, आलू और टमाटर को अंगारों पर या गैस की सीधी आँच पर भून लें। जब ये नरम हो जाएं तो छिलका उतारकर इनका गूदा निकाल लें।
- गूदे को अच्छे से मैश कर लें और उसमें हरी मिर्च, लहसुन, प्याज, सरसों का तेल, हरा धनिया और नमक मिलाएं।
- चोखा को अच्छी तरह मिलाकर तैयार करें।
अब लिट्टी को गरमागरम चोखा के साथ परोसें। इस व्यंजन के साथ घी और अचार का भी सेवन किया जा सकता है, जिससे इसका स्वाद और भी बढ़ जाता है।
पोषण और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से लिट्टी-चोखा
लिट्टी-चोखा न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि पोषण के दृष्टिकोण से भी बेहद लाभकारी है। सत्तू प्रोटीन, फाइबर, आयरन, और मैग्नीशियम से भरपूर होता है, जिससे यह शारीरिक शक्ति और ऊर्जा का अच्छा स्रोत माना जाता है। सत्तू से बना लिट्टी आसानी से पचने योग्य होता है, और यह पेट के लिए भी हल्का होता है।
चोखा, जो आलू, बैंगन, और टमाटर से बनता है, विटामिन, मिनरल और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। विशेष रूप से बैंगन और टमाटर शरीर में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने में मदद करते हैं। साथ ही, सरसों का तेल, जो चोखा में इस्तेमाल होता है, ओमेगा-3 फैटी एसिड का अच्छा स्रोत होता है, जो हृदय के लिए लाभकारी होता है।
लिट्टी-चोखा का आधुनिक स्वरूप
बिहार के इस पारंपरिक व्यंजन ने अब देश के अन्य हिस्सों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लोकप्रियता हासिल कर ली है। आजकल इसे विभिन्न ढाबों, रेस्तरां और शादियों में भी परोसा जाता है। कई जगहों पर लिट्टी-चोखा को नए अंदाज में भी प्रस्तुत किया जा रहा है, जैसे कि चीज़ स्टफ्ड लिट्टी या तंदूरी लिट्टी।
हालाँकि, चाहे इसे किसी भी तरह से परोसा जाए, लिट्टी-चोखा की आत्मा उसकी सादगी और पारंपरिक स्वाद में ही निहित है। यह व्यंजन न केवल लोगों के स्वाद को संतुष्ट करता है, बल्कि उन्हें बिहार की संस्कृति और परंपरा से भी जोड़ता है।