Sunday, December 22, 2024
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बिहार के सीतामढ़ी में तिलकताजपुर बांध टूटा: बाढ़ से प्रभावित परिवारों की हालत गंभीर

बिहार के सीतामढ़ी जिले में बागमती नदी के तिलकताजपुर और खरहुआ-नुनौरा बांध के टूटने के बाद क्षेत्र में भयंकर बाढ़ आ गई, जिससे दर्जनों परिवारों के घर पानी में समा गए। यह घटना क्षेत्र के लिए विनाशकारी साबित हुई, क्योंकि बाढ़ ने घरों, फसलों और बुनियादी ढांचे को बुरी तरह प्रभावित किया। तिलकताजपुर बांध के टूटने की मुख्य वजह मरम्मत कार्यों में लापरवाही बताई जा रही है, जिससे प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों पर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय लोगों ने प्रशासन को पहले ही बांध से हो रहे रिसाव की जानकारी दे दी थी, लेकिन समय पर मरम्मती कार्य नहीं किए जाने के कारण यह आपदा हुई।

बांध टूटने से मची तबाही

बागमती नदी के इस बांध के टूटने से सैकड़ों परिवार प्रभावित हुए हैं। बाढ़ का पानी उनके घरों में घुस गया, जिससे वे अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने को मजबूर हो गए। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्यों का जायजा लेने के लिए जिला प्रशासन की टीमों ने मौके पर दौरा किया। सीतामढ़ी के जिलाधिकारी (डीएम) रिची पांडेय और पुलिस अधीक्षक (एसपी) मनोज कुमार तिवारी ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ प्रभावित इलाकों का निरीक्षण किया। उन्होंने रुन्नीसैदपुर प्रखंड के बाढ़ग्रस्त क्षेत्र का दौरा किया और राहत शिविरों तथा सामुदायिक रसोई घरों का निरीक्षण किया, जहाँ बाढ़ पीड़ितों के लिए भोजन और पेयजल की व्यवस्था की जा रही है।

मरम्मत में लापरवाही की शिकायत

स्थानीय ग्रामीणों ने डीएम और एसपी से बातचीत के दौरान बांध की मरम्मत में गंभीर लापरवाही की शिकायत की। ग्रामीणों का कहना था कि बांध से रिसाव की जानकारी पहले ही विभाग को दे दी गई थी, लेकिन समय पर कोई मरम्मती कार्य शुरू नहीं कराया गया। इस वजह से तिलकताजपुर और खरहुआ-नुनौरा बांध टूट गए और बाढ़ का पानी पूरे क्षेत्र में फैल गया। ग्रामीणों ने बांध टूटने के पीछे की लापरवाही के लिए दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

ग्रामीणों के अनुसार, यदि समय पर बांध की मरम्मत कर दी गई होती, तो शायद इस आपदा से बचा जा सकता था। इस मुद्दे पर स्थानीय लोगों का गुस्सा उस वक्त और भड़क गया, जब डीएम और एसपी मौके पर पहुंचे। उन्होंने बांध टूटने के कारणों की जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। ग्रामीणों ने मांग की कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी से बचा जा सके।

डीएम का आश्वासन

ग्रामीणों के आक्रोश को शांत करने के लिए डीएम रिची पांडेय ने भरोसा दिलाया कि बांध टूटने की घटना की विस्तृत जांच करवाई जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि जांच के बाद जो भी अधिकारी या ठेकेदार दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। डीएम ने मौके पर ही बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत कार्यों को तेज करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में तत्काल राहत सामग्री उपलब्ध कराई जाए और प्रभावित लोगों को भोजन, पानी और स्वास्थ्य सेवाओं का उचित प्रबंध किया जाए।

राहत कार्यों का निरीक्षण

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों के निरीक्षण के दौरान डीएम ने सामुदायिक रसोई और अस्थायी आश्रय स्थलों का भी जायजा लिया। उन्होंने बाढ़ पीड़ितों के बीच शुद्ध पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए चापाकल लगाने के निर्देश दिए। इसके अलावा, उन्होंने बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में सफाई और स्वास्थ्य सेवाओं को भी प्राथमिकता देने की बात कही। डीएम ने निर्देश दिया कि प्रभावित क्षेत्रों में नियमित रूप से ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया जाए, ताकि किसी भी प्रकार के संक्रमण और बीमारियों का खतरा कम हो सके।

डीएम ने आपदा प्रबंधन के मानकों के अनुसार नुकसान का आकलन करने और बाढ़ से प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए उचित कदम उठाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और अगर किसी अधिकारी की लापरवाही पाई गई तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

ग्रामीणों की मांग

ग्रामीणों ने डीएम से बांध टूटने की जांच कराने की मांग की। उनका कहना था कि बांध की मरम्मत में हुई लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ, जिससे उनके घर और खेत पानी में डूब गए। उन्होंने दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की और कहा कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। ग्रामीणों ने कहा कि वे इस मामले को लेकर अदालत का भी सहारा लेंगे।

जिला पार्षद उपाध्यक्ष प्रतिनिधि श्रीनारायण सिंह ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया और कहा कि विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के खिलाफ जनहित याचिका दायर की जाएगी। उनका कहना था कि यदि समय पर उचित कदम उठाए गए होते, तो शायद इस आपदा से बचा जा सकता था। ग्रामीणों के अनुसार, यह प्रशासनिक लापरवाही का एक स्पष्ट उदाहरण है और दोषियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

प्रशासनिक अधिकारियों का दौरा

डीएम और एसपी के साथ मौके पर कई अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद थे, जिन्होंने बाढ़ प्रभावित इलाकों का निरीक्षण किया। इनमें सदर एसडीओ संजीव कुमार, सदर डीएसपी राम कृष्ण, बीडीओ सुनील कुमार, पुनि सह थानाध्यक्ष मुकेश कुमार सिंह, पीओ रणजीत कुमार ठाकुर और एमओ अजीत कुमार भी शामिल थे। इन सभी अधिकारियों ने मौके पर राहत और बचाव कार्यों का निरीक्षण किया और सुनिश्चित किया कि बाढ़ पीड़ितों को तत्काल सहायता उपलब्ध कराई जाए।

राहत कार्यों में सुधार की जरूरत

हालांकि प्रशासन ने बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए राहत शिविरों और सामुदायिक रसोई की व्यवस्था की है, लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि इन प्रयासों में और तेजी लाने की जरूरत है। बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में पानी का स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे लोगों की स्थिति और खराब हो रही है। कई लोगों ने शिकायत की कि उन्हें अभी तक पर्याप्त सहायता नहीं मिल पाई है और राहत कार्यों में देरी हो रही है।

निष्कर्ष

तिलकताजपुर और खरहुआ-नुनौरा बांध के टूटने से सीतामढ़ी के कई हिस्सों में आई बाढ़ ने लोगों के जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। बांध की मरम्मत में हुई लापरवाही इस तबाही की मुख्य वजह बताई जा रही है, और स्थानीय लोग इस मुद्दे को लेकर प्रशासन से जवाबदेही की मांग कर रहे हैं। डीएम और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने बाढ़ पीड़ितों को राहत प्रदान करने और बांध टूटने की जांच का आश्वासन दिया है, लेकिन इसके साथ ही लोगों की यह मांग भी है कि दोषियों को जल्द से जल्द सजा दी जाए।

यह घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा करती है, बल्कि यह भी बताती है कि आपदा प्रबंधन के तहत तैयारियों में कितनी कमी है। अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि प्रशासन इस संकट से कैसे निपटता है और बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए कितनी तेजी से कदम उठाता है।

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