बिहार के लखीसराय जिले के किऊल नदी में शुक्रवार को एक दर्दनाक नाव हादसा हुआ, जिसमें कई लोगों की जान जोखिम में पड़ गई। हादसे में दो महिलाएं लापता हो गई हैं, जिनकी तलाश में प्रशासन जुटा हुआ है। यह हादसा मेदनी चौकी थाना क्षेत्र के देवघरा चंद्र टोला के पास हुआ। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, नाव में कुल 8 से 10 लोग सवार थे, जो दियारा क्षेत्र की ओर जा रहे थे। जैसे ही नाव नदी के गहरे हिस्से में पहुंची, नाव अनियंत्रित हो गई और पलट गई। नाव के पलटते ही अफरातफरी मच गई, और सवार लोग खुद को बचाने के लिए पानी में तैरने लगे। अधिकांश लोग किनारे तक पहुंचने में सफल रहे, लेकिन दो महिलाएं गहरे पानी में डूब गईं और लापता हो गईं।
हादसे का विवरण: दियारा जाते समय हुआ हादसा
देवघरा गांव के निवासी दियारा क्षेत्र में घास लाने के लिए छोटी नाव पर सवार होकर जा रहे थे। इनमें से अधिकतर ग्रामीण छोटे किसानों या मजदूरों के परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जो हर दिन की तरह अपनी आजीविका के लिए इस नदी के पार का रुख करते हैं। इस दिन मौसम में हल्की ठंडक के साथ हवा तेज थी। जैसे ही नाव नदी के बीच में पहुंची, तेज हवाओं के चलते नाव पर संतुलन बिगड़ गया, और अनियंत्रित होकर पलट गई। इसमें सवार लोग एकाएक पानी में गिर गए। नाव पर मौजूद कई लोग तैरकर या अपने-अपने प्रयास से किनारे तक पहुंचने में सफल रहे, जबकि दो महिलाएं नदी के गहरे पानी में बह गईं और उनकी अब तक कोई खबर नहीं मिली है।
घटना के बाद प्रशासनिक कदम: खोजबीन का कार्य जारी
हादसे की सूचना मिलते ही, बड़ी संख्या में ग्रामीण घटनास्थल पर जमा हो गए। हादसे की भयावहता देखते हुए तुरंत प्रशासनिक टीम मौके पर पहुंच गई और खोजबीन का कार्य शुरू कर दिया गया। प्रशासन ने मुंगेर से एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) की टीम को बुलाया, जो नदी के गहरे पानी में जाकर लापता महिलाओं की तलाश कर रही है। घटना स्थल पर अंचलाधिकारी स्वतंत्र कुमार भी पहुंचे, जिन्होंने पूरे राहत कार्य की निगरानी की। उन्होंने बताया कि प्रशासन हरसंभव प्रयास कर रहा है कि सभी लापता लोगों को जल्द से जल्द ढूंढा जा सके और उन्हें सुरक्षित बाहर लाया जा सके।
प्रत्यक्षदर्शियों का बयान: नाव हादसे में लापता महिलाएं
इस हादसे में बाल-बाल बची एक महिला, रीता देवी (40 वर्ष), देवघरा चंद्र टोला की निवासी हैं और कंपनी महतो की पत्नी हैं। उन्हें सूर्यगढ़ा सामुदायिक अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है। अस्पताल में उपचाराधीन रीता देवी ने बताया कि वह अपनी गोतनी बुलिया देवी (30 वर्ष) और अन्य लोगों के साथ घास लाने के लिए दियारा जा रही थीं। नाव पर कुल एक दर्जन से अधिक लोग सवार थे। रीता देवी के अनुसार, नाव चल रही थी और अचानक बीच नदी में तेज हवा के झोंके के कारण संतुलन बिगड़ गया और नाव पलट गई। उन्होंने बताया कि सभी लोग एक छोटी नाव पर सवार थे, जिसमें क्षमता से अधिक लोग बैठ गए थे। यही कारण था कि नाव पहले से ही अस्थिर हो रही थी, और तेज हवा के कारण पूरी तरह से अनियंत्रित हो गई।
बच गई रीता देवी ने बताया कि उनकी गोतनी बुलिया देवी, जो उचित महतो की पत्नी हैं, अब तक लापता हैं। हादसे के बाद से बुलिया देवी का परिवार सदमे में है और उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित है।
हादसे का प्रभाव: क्षेत्र में मचा कोहराम
हादसे की खबर मिलते ही, देवघरा गांव और आसपास के लोग बड़ी संख्या में नदी के किनारे जमा हो गए। चारों तरफ अफरातफरी और कोहराम मचा हुआ था। लापता महिलाओं के परिजन नदी के किनारे बैठकर उनकी सलामती की दुआ कर रहे थे। ग्रामीणों का कहना है कि यह पहला मौका नहीं है जब इस नदी में इस तरह का हादसा हुआ हो। किऊल नदी में अक्सर इस तरह की घटनाएं होती हैं, और इसकी वजह से ग्रामीणों की जान हमेशा जोखिम में रहती है। नदी में मौजूदा तेज धारा, गहरी जगहें और मौसम की अनिश्चितता लोगों के लिए अक्सर चुनौती बन जाती हैं।
लखीसराय के अंचलाधिकारी स्वतंत्र कुमार ने बताया कि प्रशासन की टीम लगातार तलाशी अभियान चला रही है। नदी की गहराई और पानी की तेज धारा के चलते सर्च ऑपरेशन में काफी मुश्किलें आ रही हैं। मुंगेर से बुलाई गई एसडीआरएफ टीम के जवान घटनास्थल पर गोताखोरी कर रहे हैं। अधिकारी ने बताया कि प्रशासनिक टीम इस हादसे को लेकर पूरी तरह से गंभीर है और हरसंभव प्रयास किया जा रहा है कि लापता महिलाओं को जल्द से जल्द ढूंढा जा सके।
प्रशासन की तैयारियों पर सवाल
ग्रामीणों ने प्रशासन की तैयारियों पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि ऐसे हादसे पहले भी होते रहे हैं, लेकिन इस दिशा में स्थायी कदम नहीं उठाए गए। प्रशासन की ओर से नाव दुर्घटनाओं को रोकने के लिए किसी भी तरह की सतर्कता या सुरक्षा उपाय नहीं किए जाते। इसके अलावा, ग्रामीणों ने शिकायत की कि नदियों में नावों के संचालन के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और लाइफ जैकेट जैसी जरूरी सुरक्षा सुविधाओं की कमी है। इसी कारण से हर साल कई लोगों की जान खतरे में पड़ती है।
लापता लोगों के परिजनों की व्यथा
घटना के बाद से लापता महिलाओं के परिजनों का बुरा हाल है। हादसे के तुरंत बाद घटनास्थल पर पहुंचे लापता महिलाओं के परिजन अपनी आंखों में आस और भय दोनों लेकर वहां खड़े हैं। इस हादसे में लापता बुलिया देवी के पति उचित महतो अपनी पत्नी की सलामती के लिए दुआ कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी रोज की तरह घर के कामों के लिए दियारा जा रही थीं, और उन्हें उम्मीद नहीं थी कि ऐसा हादसा होगा। इसी तरह से, रीता देवी के परिवारवाले भी उनकी स्थिति को लेकर चिंतित हैं, हालांकि वे शुक्रगुजार हैं कि रीता देवी हादसे में बच गईं।
परिजनों का कहना है कि प्रशासन को इस हादसे के बाद यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाएं न हों। उनका मानना है कि इस दिशा में प्रशासन को स्थायी व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
समाज और प्रशासन के लिए सबक
इस हादसे ने न केवल किऊल नदी के किनारे रहने वाले ग्रामीणों को बल्कि प्रशासन और समाज को भी एक सबक दिया है। ग्रामीण इलाकों में नदियों के किनारे बसे लोगों की जिंदगी अक्सर नदी और उसके अनिश्चित मिजाज पर निर्भर करती है। प्रशासनिक अनदेखी और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम न होने के कारण इस तरह की दुर्घटनाएं होती रहती हैं। इस हादसे ने यह साबित कर दिया कि सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए बिना ग्रामीणों की जिंदगी हमेशा खतरे में रहेगी। ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए प्रशासन को आवश्यक कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाएं न हों।
अंचलाधिकारी स्वतंत्र कुमार ने यह भी कहा कि इस हादसे से प्रशासनिक स्तर पर भी कई सबक लिए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्रशासन अब नाव संचालन की व्यवस्था में सुधार लाने के लिए गंभीरता से विचार कर रहा है। प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने का फैसला किया है कि भविष्य में नदी पार करने के दौरान ग्रामीणों को उचित सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके अलावा, नावों पर क्षमता से अधिक लोगों को बैठाने पर प्रतिबंध लगाया जाएगा, ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।