बिहार सरकार ने 2024 के आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) को जारी करते हुए राज्य की आर्थिक स्थिति, विकास की दिशा, और आगे की संभावनाओं पर व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। इस सर्वेक्षण में जहाँ एक ओर विकास के कई सकारात्मक संकेत मिले हैं, वहीं राज्य को अभी भी कई आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। बिहार, जो देश का एक प्रमुख कृषि आधारित राज्य है, धीरे-धीरे औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में भी कदम बढ़ा रहा है, लेकिन इसके बावजूद कुछ चुनौतियाँ अभी भी बिहार के आर्थिक विकास की गति को बाधित कर रही हैं।
राज्य की सकल घरेलू उत्पाद (SGDP) और आर्थिक वृद्धि दर
बिहार का सकल घरेलू उत्पाद (SGDP) पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर हुआ है। आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि राज्य की विकास दर में पिछले कुछ सालों में स्थिरता देखी गई है, जो कि केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए योजनाओं और राज्य सरकार की विकास नीतियों का परिणाम है।
2024 के लिए अनुमानित विकास दर 10% के आसपास है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है। इसने बिहार को एक उच्च-विकासशील राज्य के रूप में उभरने का अवसर दिया है। हालांकि, सर्वेक्षण में यह भी उल्लेख किया गया है कि विकास का यह लाभ राज्य के कुछ ही क्षेत्रों में देखा गया है, जबकि दूर-दराज के इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी समुचित विकास की आवश्यकता है।
कृषि, बिहार की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, और यहाँ की 70% से अधिक आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। हालांकि, कृषि की उत्पादकता में भी वृद्धि दर्ज की गई है, लेकिन यह विकास जलवायु परिवर्तन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बाधित रहता है।
कृषि और ग्रामीण विकास
बिहार के लिए कृषि प्रमुख आर्थिक क्षेत्र बना हुआ है, और 2024 के आर्थिक सर्वेक्षण में यह क्षेत्र विशेष रूप से चर्चा का विषय रहा है। कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए राज्य सरकार ने कई नई योजनाएँ लागू की हैं। फसल उत्पादकता बढ़ाने, सिंचाई की सुविधाओं में सुधार करने, और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके खेती को अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में काम हो रहा है।
सर्वेक्षण में बताया गया है कि राज्य में रबी और खरीफ दोनों मौसमों में फसलों की उपज में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। धान, गेहूँ, मक्का और दलहन की उत्पादकता में वृद्धि देखी गई है, जो कि राज्य की खाद्य सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है। कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’ और ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों का भी प्रभावी कार्यान्वयन किया गया है।
कृषि क्षेत्र के विकास में बागवानी, डेयरी और मत्स्य पालन के क्षेत्र में भी नए प्रयास किए गए हैं। आर्थिक सर्वेक्षण में उल्लेख किया गया है कि राज्य सरकार ने डेयरी उत्पादकता में सुधार लाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं।
उद्योग और सेवा क्षेत्र: धीरे-धीरे हो रहा विस्तार
औद्योगिक क्षेत्र में बिहार को अभी बहुत सुधार की आवश्यकता है। हालांकि, राज्य सरकार द्वारा “मेक इन बिहार” और “स्टार्टअप बिहार” जैसी योजनाओं के माध्यम से राज्य में औद्योगिक वातावरण को प्रोत्साहित किया जा रहा है। छोटे और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकारी सहायता बढ़ाई गई है, जिससे राज्य में स्वरोजगार की संभावनाओं में वृद्धि हुई है।
सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि बिहार का सेवा क्षेत्र, विशेष रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य, और आईटी सेवाएँ, धीरे-धीरे विकास कर रहा है। राज्य में कई नई आईटी कंपनियाँ उभर रही हैं, जिससे रोजगार के अवसरों में भी इजाफा हो रहा है। इसके अलावा, पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को भी राज्य सरकार ने प्रोत्साहन दिया है, विशेष रूप से बौद्ध पर्यटन के क्षेत्र में, जहाँ बिहार को वैश्विक पहचान प्राप्त है।
स्वास्थ्य और शिक्षा: आधारभूत ढांचे में सुधार की आवश्यकता
बिहार के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा दो प्रमुख क्षेत्रों में व्यापक सुधार की आवश्यकता है। 2024 के आर्थिक सर्वेक्षण में भी इस बात का उल्लेख किया गया है। बिहार का शिक्षा स्तर अब भी राष्ट्रीय औसत से कम है, और राज्य में साक्षरता दर 70% के आसपास है। राज्य सरकार ने शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए ‘मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना’ और ‘मध्याह्न भोजन योजना’ जैसी योजनाओं का कार्यान्वयन किया है, जिससे विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ी है। लेकिन अभी भी गुणवत्ता शिक्षा और शिक्षकों की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सुधार की आवश्यकता है। हालाँकि, आर्थिक सर्वेक्षण में यह उल्लेख किया गया है कि बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आधारभूत ढांचे में सुधार हो रहा है, विशेषकर सरकारी अस्पतालों में। लेकिन राज्य में डॉक्टरों की कमी और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता ग्रामीण क्षेत्रों में एक बड़ी समस्या है।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में बिहार में शिशु मृत्यु दर (IMR) और मातृ मृत्यु दर (MMR) में कमी आई है, लेकिन यह दर अभी भी राष्ट्रीय औसत से अधिक है। इसके लिए बिहार सरकार ने ‘स्वास्थ्य सुधार योजना’ लागू की है, जिसमें राज्य के अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों को आधुनिक उपकरणों से लैस किया जा रहा है।
बुनियादी ढांचा: सड़कें, बिजली और पानी
बिहार के आर्थिक विकास में बुनियादी ढांचे का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। राज्य में सड़क, बिजली और पानी की सुविधाओं में सुधार के लिए व्यापक कार्य किया गया है। आर्थिक सर्वेक्षण 2024 में बताया गया है कि बिहार में अब लगभग हर गाँव में बिजली पहुंचाई जा चुकी है। ‘हर घर बिजली’ योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली पहुंचाने का काम लगभग पूरा हो चुका है, और राज्य के शहरी क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति में भी सुधार हुआ है।
इसके साथ ही, बिहार में सड़क नेटवर्क का विस्तार भी तेजी से हो रहा है। राज्य सरकार ने ग्रामीण सड़कों को पक्की करने और राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में तेजी लाई है। बिहार में अब लगभग 80% ग्रामीण सड़कों को पक्की कर दिया गया है, जिससे राज्य के दूर-दराज के इलाकों में भी यातायात की सुविधा बढ़ी है।
जल आपूर्ति के क्षेत्र में, ‘नल-जल योजना’ के तहत राज्य के अधिकांश घरों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके साथ ही, सिंचाई के क्षेत्र में भी सुधार के प्रयास किए गए हैं, जिससे राज्य के कृषि क्षेत्र को मजबूती मिल रही है।
बिहार में निवेश: संभावनाएँ और चुनौतियाँ
बिहार के लिए निवेश की संभावनाएँ तो बढ़ रही हैं, लेकिन इसके साथ ही कई चुनौतियाँ भी सामने हैं। राज्य में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सरकार ने नीतिगत सुधार किए हैं। औद्योगिक नीति में सुधार किया गया है, और राज्य में निवेशकों को कर में छूट और अन्य सुविधाएँ दी जा रही हैं।
सर्वेक्षण में बताया गया है कि बिहार के औद्योगिक क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्षों में कई नई परियोजनाएँ शुरू की गई हैं। लेकिन राज्य में निवेश का प्रमुख मुद्दा अब भी अवसंरचना और कानून-व्यवस्था बना हुआ है। राज्य सरकार को राज्य में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सुरक्षा और बुनियादी ढांचे में सुधार करने की आवश्यकता है, ताकि निवेशकों का विश्वास बढ़ सके।
इसके साथ ही, राज्य में कार्यबल का कौशल विकास भी एक बड़ी चुनौती है। बिहार में युवाओं की संख्या अधिक है, लेकिन उनके पास अभी भी व्यावसायिक कौशल की कमी है। इस दिशा में राज्य सरकार ने ‘कौशल विकास योजना’ लागू की है, लेकिन इसके परिणाम आने में अभी समय लगेगा।
वित्तीय स्थिति: राजस्व और व्यय में संतुलन
बिहार की वित्तीय स्थिति में भी 2024 के आर्थिक सर्वेक्षण में चर्चा की गई है। राज्य का राजस्व पिछले कुछ वर्षों में बढ़ा है, लेकिन इसका अधिकांश हिस्सा केंद्र से मिलने वाले अनुदानों और कर हस्तांतरणों पर निर्भर है। राज्य के अपने कर राजस्व में वृद्धि हो रही है, लेकिन यह अभी भी राज्य के विकासात्मक खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
सर्वेक्षण में यह बताया गया है कि राज्य का व्यय भी तेजी से बढ़ा है, विशेष रूप से बुनियादी ढांचे के विकास, स्वास्थ्य और शिक्षा पर। राज्य सरकार ने अपनी वित्तीय नीतियों में विकासात्मक खर्चों को प्राथमिकता दी है, लेकिन इसके साथ ही उसे अपने कर्ज को नियंत्रित रखने की भी आवश्यकता है। राज्य का कर्ज बोझ बढ़ता जा रहा है, जिससे राज्य की वित्तीय स्थिति पर दबाव बन रहा है।
महिलाओं और कमजोर वर्गों का सशक्तिकरण
बिहार सरकार ने महिलाओं और कमजोर वर्गों के सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएँ लागू की हैं, जिनका प्रभाव आर्थिक सर्वेक्षण में भी देखा जा सकता है। ‘मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना’ और ‘जीविका’ जैसी योजनाओं ने राज्य में महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद की है। इसके साथ ही, सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि महिलाओं की भागीदारी अब कृषि, छोटे उद्योगों और सेवा क्षेत्र में बढ़ रही है। ‘जीविका’ योजना के तहत महिलाएँ आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं, जिससे उनके परिवारों की आय में भी वृद्धि हो रही है। महिलाओं के सशक्तिकरण के इस मॉडल ने बिहार में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
राज्य सरकार ने महिलाओं की शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान दिया है। आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि लड़कियों की शिक्षा में सुधार के लिए ‘मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना’ और ‘कन्या उत्थान योजना’ ने सकारात्मक परिणाम दिए हैं। इन योजनाओं से बालिका शिक्षा में निरंतर वृद्धि हो रही है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
इसके अलावा, अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के सशक्तिकरण के लिए भी राज्य सरकार ने कई योजनाएँ लागू की हैं। ‘मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति एवं जनजाति उद्यमी योजना’ के तहत इन वर्गों के लोगों को स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी उल्लेख किया गया है कि राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही इन योजनाओं का प्रभाव धीरे-धीरे दिखाई देने लगा है, और इन वर्गों की स्थिति में सुधार आ रहा है।
जलवायु परिवर्तन और आपदाओं का प्रभाव
बिहार में जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाएँ, विशेष रूप से बाढ़, राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई हैं। आर्थिक सर्वेक्षण 2024 में यह स्पष्ट किया गया है कि राज्य के कृषि और बुनियादी ढांचे पर जलवायु परिवर्तन का गहरा प्रभाव पड़ रहा है। बिहार में हर साल बाढ़ और सूखे की समस्या रहती है, जिससे कृषि उत्पादकता और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
राज्य सरकार ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कई योजनाएँ बनाई हैं, जैसे बाढ़ प्रबंधन, तटबंधों का निर्माण और पुनर्वास योजनाएँ। इसके साथ ही, राज्य सरकार ने पर्यावरणीय संरक्षण और वन क्षेत्र के विस्तार के लिए भी कई उपाय किए हैं। लेकिन इस दिशा में अभी और ठोस प्रयासों की आवश्यकता है, ताकि राज्य की आर्थिक संरचना को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से सुरक्षित किया जा सके।
आर्थिक असमानता: विकास में क्षेत्रीय और सामाजिक विषमताएँ
बिहार के आर्थिक सर्वेक्षण 2024 में एक प्रमुख चुनौती आर्थिक असमानता है। राज्य के कुछ प्रमुख शहरी क्षेत्र जैसे पटना, मुजफ्फरपुर, गया, और भागलपुर में जहाँ विकास और आधारभूत ढांचे में सुधार देखा जा रहा है, वहीं कई ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में अभी भी विकास की गति धीमी है।
सर्वेक्षण में इस बात का भी जिक्र है कि सामाजिक असमानता भी राज्य के विकास में एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए रोजगार और शिक्षा के अवसर सीमित हैं। हालाँकि राज्य सरकार ने कई योजनाएँ लागू की हैं, लेकिन इनका लाभ सभी लोगों तक समान रूप से नहीं पहुँच पाया है।
इसके अलावा, राज्य के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों के बीच विकास की असमानता भी एक प्रमुख चिंता का विषय है। उत्तरी बिहार जहाँ बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित होता है, वहीं दक्षिणी बिहार अपेक्षाकृत अधिक स्थिर है। इस असमानता को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने कई क्षेत्रीय विकास योजनाएँ लागू की हैं, लेकिन अभी भी क्षेत्रीय विकास में संतुलन स्थापित करना एक चुनौती है।
आर्थिक सुधारों की दिशा में भविष्य की चुनौतियाँ और योजनाएँ
बिहार का आर्थिक सर्वेक्षण 2024 राज्य की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक व्यापक योजना प्रस्तुत करता है। सर्वेक्षण में यह बताया गया है कि राज्य को आने वाले वर्षों में कई प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, जैसे निवेश को आकर्षित करना, युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार करना, और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटना।
राज्य सरकार ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए कुछ दीर्घकालिक योजनाएँ बनाई हैं। कृषि के क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके उत्पादकता को बढ़ाने, उद्योग और सेवा क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देने, और युवाओं के कौशल विकास के लिए व्यापक कार्यक्रम लागू किए जा रहे हैं।
इसके अलावा, राज्य सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भी विशेष योजनाएँ बनाई हैं, जिसमें बाढ़ प्रबंधन, जल संरक्षण, और वन क्षेत्र का विस्तार प्रमुख हैं।
निष्कर्ष: विकास के लिए समावेशी और संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता
बिहार का आर्थिक सर्वेक्षण 2024 राज्य की आर्थिक प्रगति के लिए एक स्पष्ट तस्वीर प्रस्तुत करता है। जहाँ एक ओर विकास के कई सकारात्मक संकेत मिले हैं, वहीं राज्य को अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कृषि, उद्योग, स्वास्थ्य, और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार हो रहा है, लेकिन इसे अधिक समावेशी और संतुलित बनाने की आवश्यकता है।
राज्य सरकार ने अपने दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कई सुधारात्मक कदम उठाए हैं, लेकिन इसके लिए निवेश, अवसंरचना और कानून व्यवस्था में और सुधार की आवश्यकता है।
बिहार की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे विकास की दिशा में आगे बढ़ रही है, लेकिन इसे स्थिर और समावेशी बनाने के लिए राज्य सरकार को नीतिगत सुधारों के साथ-साथ सामाजिक और क्षेत्रीय असमानताओं को भी दूर करने की दिशा में और अधिक प्रयास करने होंगे।
बिहार के लिए 2024 का आर्थिक सर्वेक्षण न केवल विकास की वर्तमान स्थिति को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि आने वाले वर्षों में राज्य किस दिशा में प्रगति कर सकता है। यदि राज्य अपने आर्थिक विकास को समावेशी और सतत विकास की दिशा में ले जाने में सफल होता है, तो बिहार न केवल राष्ट्रीय औसत को पार कर सकता है, बल्कि वह एक आर्थिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर राज्य बन सकता है।