Monday, December 23, 2024
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बख्तियारपुर-ताजपुर फोरलेन पथ निर्माण: जल निकासी और सेवा पथ की कमी को लेकर ग्रामीणों का विरोध, 22 अक्टूबर से रोकेंगे कार्य

संवाद सूत्र, मोहनपुर
राजपुर-जौनापुर और डुमरी दक्षिणी पंचायत के ग्रामीणों ने बख्तियारपुर-ताजपुर फोरलेन पथ निर्माण में जल निकासी और सेवा पथ की कमी को लेकर विरोध जताते हुए 22 अक्टूबर से निर्माण कार्य रोकने की तैयारी कर ली है। यह निर्णय रविवार को जौनापुर स्थित कालीमंदिर परिसर में आयोजित बैठक में लिया गया, जिसमें दोनों पंचायतों के मुखिया, पंचायत प्रतिनिधि और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। ग्रामीणों का कहना है कि अगर उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो वे निर्माण कार्य को पूरी तरह से रोक देंगे। इसके लिए स्थानीय विधायक और निर्माण एजेंसी के अधिकारियों से वार्ता करने का भी निर्णय लिया गया है।

बाढ़ और जल निकासी समस्या: 2016 की आपदा से सबक

बैठक में उपस्थित पूर्व मुखिया मनोज कुमार सिंह ने बताया कि 2016 की बाढ़ में जलस्तर अपेक्षाकृत कम होने के बावजूद राजपुर-जौनापुर और डुमरी दक्षिणी पंचायतों में बाढ़ का प्रभाव काफी अधिक था। यह समस्या मुख्य रूप से फोरलेन पथ में जल निकासी के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण उत्पन्न हुई थी। बाढ़ के दौरान लगभग 90 प्रतिशत घरों में 2 से 3 फीट तक पानी भर गया था। अगर फोरलेन सड़क कई जगहों पर नहीं टूटी होती, तो इन पंचायतों में जान-माल की और अधिक क्षति होती।

सेवा पथ और पुलों की कमी से बढ़ी चिंता

ग्रामीणों का कहना है कि फोरलेन पथ पर मोहिउद्दीननगर-हरैल-जौनापुर पीडब्ल्यूडी पथ के मिलान-स्थल पर सेवा पथ का निर्माण नहीं किया जा रहा है, जो आने-जाने में भारी कठिनाई पैदा कर सकता है। इसके साथ ही, सड़क के निर्माण में पर्याप्त संख्या में बड़े पुल नहीं बनाए जा रहे हैं, जिससे भविष्य में जल निकासी की समस्या और बढ़ सकती है। ग्रामीणों की मांग है कि इन दोनों मुद्दों पर तुरंत ध्यान दिया जाए ताकि बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय गांव सुरक्षित रहे।

पूर्व की घटनाओं का संदर्भ: ग्रामीणों का पुराना संघर्ष

वक्ताओं ने यह भी बताया कि 2017 में ग्रामीणों ने इसी समस्या के कारण सड़क निर्माण में मिट्टी भराई का कार्य रोक दिया था। उस समय स्थानीय विधायक राजेश कुमार सिंह ने ग्रामीणों की समस्या को विधानसभा में उठाया था। उन्होंने संबंधित मंत्री से समस्या के निराकरण के लिए कदम उठाने की मांग की थी, लेकिन इस दिशा में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें पहले भी आश्वासन दिए गए थे, लेकिन उन पर अमल नहीं हुआ।

विधायक और निर्माण एजेंसी से वार्ता की तैयारी

बैठक में यह जानकारी दी गई कि सोमवार को इस मुद्दे पर स्थानीय विधायक और निर्माण एजेंसी के अधिकारियों के साथ वार्ता की जाएगी। ग्रामीणों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर उनकी मांगों को उचित मान्यता नहीं दी गई, तो वे 22 अक्टूबर से सड़क निर्माण के कार्य को पूरी तरह से रोक देंगे। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि इस आशय का पत्र शाहपुर पटोरी के एसडीएम और डीएसपी को सौंपा जाएगा, ताकि प्रशासन को उनकी मांगों की जानकारी हो और समय रहते उचित कार्रवाई की जा सके।

जल निकासी की समस्याओं से बचने के लिए ग्रामीणों की मांगें

ग्रामीणों का प्रमुख जोर जल निकासी की उचित व्यवस्था और सेवा पथ के निर्माण पर है। उनका कहना है कि अगर यह सुनिश्चित नहीं किया गया, तो भविष्य में बाढ़ जैसी आपदाओं के समय स्थिति और भी विकट हो सकती है। इसलिए, वे चाहते हैं कि फोरलेन पथ के निर्माण के दौरान इन पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने स्थानीय विधायक और प्रशासन से इस मुद्दे को प्राथमिकता देने की अपील की है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

विकास और सुरक्षा के बीच संघर्ष

यह मामला ग्रामीण विकास और सुरक्षा के बीच के संघर्ष का प्रतीक है। ग्रामीण विकास के लिए सड़क निर्माण जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इसके साथ-साथ ग्रामीणों की सुरक्षा और पर्यावरणीय संतुलन भी बनाए रखना जरूरी है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर इन परियोजनाओं के दौरान जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं की गई, तो यह उनके जीवन और आजीविका के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।

ग्रामीणों की मांगों पर क्या हो सकता है समाधान?

  1. जल निकासी के लिए बड़े पुलों का निर्माण: ग्रामीणों की प्रमुख मांग है कि सड़क के निर्माण के दौरान जल निकासी के लिए बड़े-बड़े पुल बनाए जाएं, ताकि बाढ़ के समय पानी का सही से निकास हो सके और गांवों में जलभराव की स्थिति न बने।
  2. सेवा पथ का निर्माण: ग्रामीण चाहते हैं कि मोहिउद्दीननगर-हरैल-जौनापुर पीडब्ल्यूडी पथ के मिलान-स्थल पर सेवा पथ का निर्माण हो, जिससे आवागमन सुगम हो सके और किसी आपात स्थिति में लोगों को सुरक्षित रास्ता मिल सके।
  3. स्थानीय प्रशासन की सक्रियता: ग्रामीणों की मांग है कि स्थानीय प्रशासन इस मामले में सक्रिय भूमिका निभाए और उनकी समस्याओं का समाधान निकाले, ताकि वे विकास के साथ-साथ सुरक्षित भी रह सकें।

ग्रामीणों की तैयारी: 22 अक्टूबर से रोक सकते हैं कार्य

ग्रामीणों ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर उनकी मांगों को नहीं माना गया, तो वे 22 अक्टूबर से बख्तियारपुर-ताजपुर फोरलेन पथ निर्माण के कार्य को पूरी तरह से रोक देंगे। इसके लिए उन्होंने बैठक में उपस्थित सभी ग्रामीणों के हस्ताक्षर लेकर आवेदन पत्र तैयार कर लिया है, जिसे स्थानीय प्रशासन को सौंपा जाएगा। उनका कहना है कि जब तक उनकी उचित मांगों पर अमल नहीं किया जाएगा, तब तक वे विरोध जारी रखेंगे।

आगे की रणनीति और संभावनाएं

इस मामले में अब सबकी नजरें सोमवार को होने वाली बैठक पर टिकी हैं, जिसमें स्थानीय विधायक और निर्माण एजेंसी के अधिकारी ग्रामीणों से वार्ता करेंगे। अगर इसमें ग्रामीणों की मांगों को मान लिया जाता है, तो शायद विरोध टल सकता है। लेकिन अगर वार्ता विफल होती है, तो ग्रामीण 22 अक्टूबर से फोरलेन पथ के निर्माण को रोकने का अपना फैसला लागू करेंगे। इससे सड़क निर्माण कार्य में देरी हो सकती है और परियोजना की प्रगति प्रभावित हो सकती है।

बख्तियारपुर-ताजपुर फोरलेन पथ के निर्माण के दौरान जल निकासी और सेवा पथ की कमी को लेकर राजपुर-जौनापुर और डुमरी दक्षिणी पंचायत के ग्रामीणों का विरोध अब उग्र होता जा रहा है। उनका कहना है कि अगर उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो वे सड़क निर्माण के कार्य को रोक देंगे। यह मामला विकास और सुरक्षा के बीच संतुलन की जरूरत को रेखांकित करता है, जहां ग्रामीण विकास की परियोजनाओं के साथ-साथ पर्यावरणीय सुरक्षा और आपदाओं से बचाव के लिए उचित कदम उठाना भी जरूरी है।

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