पटना में बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन लागू करने के फैसले के खिलाफ छात्रों ने बड़ा विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन ने उस समय तूल पकड़ लिया जब पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया। इस घटना ने न केवल प्रदर्शनकारियों और प्रशासन के बीच तनाव बढ़ाया, बल्कि नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया पर एक राष्ट्रीय बहस भी छेड़ दी।
नॉर्मलाइजेशन का मुद्दा
नॉर्मलाइजेशन एक सांख्यिकीय प्रक्रिया है जिसका उपयोग विभिन्न सत्रों में आयोजित परीक्षाओं की कठिनाई के स्तर को बराबर करने के लिए किया जाता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी विशेष सत्र की कठिनाई या सरलता का लाभ या नुकसान छात्रों को न हो। हालांकि, कई अभ्यर्थी इसे पारदर्शिता और निष्पक्षता के खिलाफ मानते हैं।
BPSC 70वीं परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन लागू करने की योजना थी, जिसे लेकर अभ्यर्थियों ने विरोध किया। उनका तर्क था कि यह प्रक्रिया छात्रों के प्रदर्शन का सही आकलन नहीं करती और इसे अचानक लागू करना अनुचित है।
विरोध प्रदर्शन का घटनाक्रम
6 दिसंबर 2024 की सुबह, सैकड़ों अभ्यर्थी पटना स्थित BPSC कार्यालय के बाहर एकत्र हुए। वे “एक परीक्षा, एक दिन” और “नॉर्मलाइजेशन वापस लो” जैसे नारे लगाते हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। छात्रों का कहना था कि परीक्षा के दौरान सभी उम्मीदवारों को समान अवसर मिलना चाहिए, और नॉर्मलाइजेशन के तहत उनके अंक अनुचित तरीके से संशोधित किए जा सकते हैं।
दोपहर होते-होते प्रदर्शन में अधिक छात्र शामिल हो गए, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन से अपनी मांगों पर बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन कोई ठोस जवाब न मिलने पर उन्होंने अपने प्रदर्शन को उग्र रूप दिया।
पुलिस लाठीचार्ज
स्थिति तब बिगड़ी जब प्रदर्शनकारियों ने आयोग कार्यालय की ओर बढ़ने का प्रयास किया। पुलिस ने पहले प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बैरिकेडिंग की और फिर उन्हें पीछे हटने के लिए चेतावनी दी। जब प्रदर्शनकारियों ने पीछे हटने से इंकार कर दिया, तो पुलिस ने लाठीचार्ज किया।
लाठीचार्ज के दौरान कई छात्रों को चोटें आईं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पुलिस ने बेकसूर छात्रों पर भी बल का प्रयोग किया। इस दौरान कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया, जिनमें छात्र नेता दिलीप कुमार भी शामिल थे।
प्रदर्शनकारियों का पक्ष
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने आए थे, लेकिन पुलिस ने बल प्रयोग करके उनकी आवाज दबाने की कोशिश की। घायल छात्र अमन सिंह ने कहा, “हम केवल नॉर्मलाइजेशन का विरोध कर रहे थे। अचानक पुलिस ने हम पर हमला कर दिया। यह हमारी अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला है।”
दिलीप कुमार, जो हिरासत में लिए गए, ने कहा, “नॉर्मलाइजेशन हमारी मेहनत पर पानी फेर सकता है। हम इसके खिलाफ अपनी आवाज उठाते रहेंगे। यह संघर्ष केवल 70वीं परीक्षा के लिए नहीं है, बल्कि भविष्य के लाखों छात्रों के लिए है।”
प्रशासन और BPSC का पक्ष
BPSC अध्यक्ष परमार रवि मनुभाई ने स्थिति को संभालने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। उन्होंने कहा, “हमने छात्रों की चिंताओं को गंभीरता से लिया है। BPSC 70वीं परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन लागू नहीं किया जाएगा। हालांकि, 71वीं परीक्षा और भविष्य की परीक्षाओं में इस प्रक्रिया को लागू करने पर विचार किया जा रहा है।”
प्रशासन ने लाठीचार्ज का बचाव करते हुए कहा कि यह कदम आवश्यक था क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने कानून-व्यवस्था को बाधित करने का प्रयास किया। पटना पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने कई बार प्रदर्शनकारियों से शांतिपूर्ण तरीके से वापस लौटने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं मानी। लाठीचार्ज अनिवार्य हो गया था।”
छात्र संगठनों और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद कई छात्र संगठनों और राजनीतिक दलों ने प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया। छात्र संगठनों ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन बताया और पुलिस की कार्रवाई की निंदा की।
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया, “छात्रों पर लाठीचार्ज अलोकतांत्रिक और निंदनीय है। सरकार को छात्रों की समस्याओं को हल करने के लिए बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए।”
वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, “छात्रों का मुद्दा गंभीर है, लेकिन कानून-व्यवस्था को बाधित करना सही नहीं है। प्रशासन को मामले को संभालने में संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।”
छात्रों की मांगें
प्रदर्शनकारियों ने निम्नलिखित मांगें रखी हैं:
- नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को रद्द करना: छात्रों का कहना है कि इस प्रक्रिया से उनके वास्तविक प्रदर्शन का आकलन नहीं हो सकता।
- “एक परीक्षा, एक दिन” का सिद्धांत: वे चाहते हैं कि परीक्षा एक ही दिन में हो ताकि सभी छात्रों को समान अवसर मिले।
- लाठीचार्ज की जांच: प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की कार्रवाई की न्यायिक जांच की मांग की है।
विशेषज्ञों की राय
शैक्षणिक विशेषज्ञों का मानना है कि नॉर्मलाइजेशन एक तकनीकी प्रक्रिया है जो सही तरीके से लागू होने पर लाभदायक हो सकती है। हालांकि, इसे अचानक लागू करना छात्रों में भ्रम और असंतोष पैदा कर सकता है।
शिक्षाविद् डॉ. अनिल कुमार ने कहा, “नॉर्मलाइजेशन का उद्देश्य छात्रों के साथ न्याय करना है, लेकिन इसे लागू करने से पहले छात्रों को इसके बारे में जागरूक करना आवश्यक है। सरकार को इस प्रक्रिया के तकनीकी पहलुओं को छात्रों के साथ साझा करना चाहिए।”
आगे की राह
प्रदर्शन के बाद, सरकार और BPSC ने छात्रों की मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया है। हालांकि, छात्र संगठनों ने अपने आंदोलन को जारी रखने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन करेंगे।
निष्कर्ष
BPSC 70वीं परीक्षा को लेकर हुए इस प्रदर्शन ने न केवल नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि प्रशासन और छात्रों के बीच संवादहीनता की समस्या को भी उजागर किया है। इस घटना ने एक बार फिर दिखाया है कि छात्रों की मांगों और नीतिगत निर्णयों के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता है।
यह जरूरी है कि प्रशासन छात्रों की समस्याओं को सुने और उनका समाधान करे ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो। साथ ही, छात्रों को भी अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों को समझते हुए शांतिपूर्ण तरीके से अपने मुद्दे उठाने चाहिए।