Sunday, December 22, 2024
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द्रविड़ वास्तुकला से सजेगा महामाया शक्ति धाम मंदिर: एक सांस्कृतिक धरोहर का निर्माण

संवाद सूत्र, जमालपुर (मुंगेर)। दुर्गा पूजा 2024 का आगमन न केवल धार्मिक उत्साह का प्रतीक है, बल्कि इस बार जमालपुर के लिए यह एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी अद्वितीय महत्व रखता है। शहर के मध्य भाग में स्थित मारवाड़ी धर्मशाला प्रांगण में स्थित महामाया शक्ति धाम मंदिर दक्षिण भारतीय द्रविड़ शैली की वास्तुकला से सुसज्जित किया गया है, जो इस क्षेत्र के मंदिरों में एक नई सांस्कृतिक धरोहर का परिचय कराता है।

द्रविड़ वास्तुकला: दक्षिण भारतीय मंदिरों की पहचान

द्रविड़ शैली की वास्तुकला दक्षिण भारत के प्रसिद्ध मंदिरों का आधार है, जो अपने विस्तृत गोपुरम (प्रवेश द्वार), स्तंभयुक्त मंडप (सभा कक्ष), और शिल्पकला से सुसज्जित मूर्तियों के लिए विख्यात है। इस शैली की जड़ें प्राचीन काल में द्रविड़ सभ्यता से जुड़ी हैं और यह वास्तुकला भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है। इस बार, जमालपुर के लोग इसी द्रविड़ शैली से बने महामाया शक्ति धाम मंदिर से रूबरू होंगे।

यह मंदिर न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का केंद्र बनेगा, बल्कि वास्तुकला प्रेमियों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र रहेगा। स्थानीय लोग और बाहर से आने वाले श्रद्धालु इस मंदिर की भव्यता और स्थापत्य सौंदर्य को देखकर प्रभावित हो रहे हैं। लोग चर्चा कर रहे हैं कि ऐसा मंदिर आसपास के जिलों में कहीं और नहीं है, और इसकी अनोखी शैली इसे दुर्गा पूजा के समय एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाएगी।

दुर्गा पूजा की तैयारियों में विशेष सजावट

दुर्गा पूजा के दौरान महामाया शक्ति धाम मंदिर को सजाने के लिए खास तैयारियां की जा रही हैं। सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन इस मंदिर को पश्चिम बंगाल के कुशल कारीगरों द्वारा फूलों से सजाया जाएगा, जो इस पूरे क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र बनेगा। यह सजावट न केवल मंदिर को और अधिक भव्य बनाएगी, बल्कि इसकी आध्यात्मिक ऊर्जा में भी वृद्धि करेगी, जिससे श्रद्धालु यहां आकर मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करेंगे।

जमालपुर के गणमान्य नागरिकों गिरधर शंघाई, जय शंकर शर्मा, सुजीत शंघाई, योगेश अग्रवाल, प्रकाश पंसारी, दिनेश जोशी, शिवकुमार बाजोरिया, राजकुमार शर्मा और अरविंद जालान ने बताया कि मंदिर को दक्षिण भारतीय पद्धति से सजाया गया है। इसके लिए जयपुर से मां दुर्गा की प्रतिमा मंगाकर प्राण प्रतिष्ठा के साथ मंदिर में स्थापित की गई है। इसके अलावा, मंदिर में मां दुर्गा के नौ रूपों की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं, जो भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती हैं।

आध्यात्मिक आस्था का केंद्र

यह मंदिर न केवल अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह एक ऐसा स्थान है जहां श्रद्धालु अपनी आस्थाओं और मान्यताओं के साथ पूजा-अर्चना करने आते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। विशेषकर नवरात्र के समय यहां बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं, और इस बार दुर्गा पूजा के अवसर पर यहां और अधिक भीड़ जुटने की संभावना है।

ध्वनि प्रदूषण पर कड़ा नियंत्रण: डीजे पर पूर्ण प्रतिबंध

संवाद सूत्र, हवेली खड़गपुर (मुंगेर)। दुर्गा पूजा के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए इस बार खड़गपुर प्रशासन ने डीजे पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। खड़गपुर थाना परिसर में पूजा समिति के सदस्यों के साथ हुई एक बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पूजा के दौरान किसी भी प्रकार के ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे। थानाध्यक्ष नीरज कुमार की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी धीरज सिन्हा ने भी पूजा समिति के सदस्यों को शांति और सौहार्दपूर्ण वातावरण में त्योहार मनाने की अपील की।

डीजे बजाने पर सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया गया है, और किसी भी प्रकार के उल्लंघन पर सीधे हवालात भेजा जाएगा। थानाध्यक्ष ने कहा कि पूजा के दौरान या मेले में किसी भी प्रकार की समस्या आने पर तुरंत प्रशासन को सूचित करें, ताकि उसे समय रहते सुलझाया जा सके। इसके साथ ही, पूजा आयोजकों को लाइसेंस लेने, सफाई व्यवस्था, और रौशनी के प्रबंध पर भी ध्यान देने की सलाह दी गई।

इस बैठक में सीओ संतोष कुमार सिंह, चैंबर अध्यक्ष संजीव कुमार, राकेश चंद्र सिंहा, निरंजन मिश्रा, पीएसआइ अरविंद कुमार, बबलू साह, बिक्कु साह सहित कई अन्य पूजा समिति सदस्य उपस्थित थे। प्रशासन का यह कदम इस बार की दुर्गा पूजा को शांतिपूर्ण और अनुशासित ढंग से मनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

सांस्कृतिक धरोहर और स्थानीय समाज

जमालपुर और खड़गपुर के बीच दुर्गा पूजा के इस प्रकार के आयोजन न केवल धार्मिक उत्सवों का हिस्सा हैं, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर का निर्माण भी करते हैं। महामाया शक्ति धाम मंदिर का निर्माण और उसका द्रविड़ शैली से सज्जित होना एक उदाहरण है कि कैसे धार्मिक स्थलों के निर्माण में सांस्कृतिक पहचान को भी सहेजा जा सकता है।

इस प्रकार के आयोजन न केवल स्थानीय लोगों को आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करते हैं, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एकता, शांति और भाईचारे का संदेश भी देते हैं। इस बार दुर्गा पूजा के माध्यम से जमालपुर और खड़गपुर के लोग न केवल देवी दुर्गा की पूजा करेंगे, बल्कि इस सांस्कृतिक धरोहर को भी संजोएंगे, जो आने वाले समय में इस क्षेत्र की पहचान बनेगी।

जमालपुर का महामाया शक्ति धाम मंदिर इस दुर्गा पूजा में न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहेगा, बल्कि इसके स्थापत्य सौंदर्य और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी यह मंदिर एक अनूठी पहचान बनाएगा।

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