US Work Visa Types: किसी भी देश में काम करने के लिए वहां के वीजा की जरूरत होती है। हर देश विदेशी नागरिकों को अपने यहां आकर काम करने के लिए वर्क वीजा देता है। अमेरिका में भी काम करने के लिए छात्रों को वर्क वीजा की जरूरत पड़ती है। आइए जानते हैं कि वर्क वीजा कितने तरह का होता है।
हाइलाइट्स
- भारत से हर साल बड़ी संख्या में लोग अमेरिका जाते हैं।
- कुछ लोग नौकरी करने जाते हैं तो कुछ वहां पढ़ने के लिए जाते हैं।
- अमेरिका में वर्क वीजा कई तरह के होते हैं।
US Work Visa For Indians: भारत से हर साल लाखों लोग विदेश में नौकरी करने जाते हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और खाड़ी के देशों में भारतीयों की तादाद लाखों में है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, करीब तीन करोड़ भारतीय विदेशों में हैं। ज्यादातर लो स्किल वाले वर्कर खाड़ी देशों में काम करते हैं, जबकि हाई स्किल वाले वर्कर्स अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों का रुख करते हैं। हालांकि, किसी भी देश में काम करने के लिए वहां के वर्क वीजा की जरूरत होती है।
वर्क वीजा को किसी देश की सरकार जारी करती है। इसके जरिए विदेशी वर्कर को देश में काम करने और रहने की इजाजत मिलती है। वर्क वीजा की एक निश्चित अवधि भी होती है। अमेरिका में काम करने जाने पर भी भारतीयों को वर्क वीजा की जरूरत पड़ती है। कोई भी विदेशी नागरिक अमेरिका में बिना वर्क वीजा के काम नहीं कर सकता है। अमेरिका में वर्क वीजा को दो कैटेगरी में बांटा गया है, जिसमें टेंपररी (अस्थायी) और परमामेंट (स्थायी) वीजा स्टेटस शामिल है।
अमेरिका में कितने टाइप के वर्क वीजा हैं?
H-1B Visa: अमेरिका में किसी स्पेशल फील्ड में काम करने वाले लोगों को ये वीजा दिया जाता है। इसके लिए बैचलर डिग्री होना जरूरी है।
H-1B1 Visa: H-1B1 वीजा, H-1B वीजा का ही एक हिस्सा है, जो चिली और सिंगापुर के लोगों को स्पेशल फील्ड में काम करने के लिए मिलता है।
H-2A Visa: कुछ देशों के नागरिकों को अमेरिका में खेती-किसानी का काम करने के लिए ये वीजा दिया जाता है।
H-2B Visa: अमेरिका कुछ देशों के नागरिकों को अस्थायी तौर पर नॉन-एग्रीकल्चर काम करने के लिए ये वीजा देता है।
H-3 Visa: ये वीजा उन लोगों को दिया जाता है, जो मानसिक, शारीरिक या भावनात्मक तौर पर परेशान बच्चों को पढ़ाते हैं।
L Visa: अमेरिका की ये वीजा कैटेगरी उन लोगों को मिलती है, जो किसी अमेरिकी कंपनी में मैनेजर या एग्जिक्यूटिव हैं और अब उन्हें अमेरिका में नौकरी करनी है।
O Visa: अमेरिका का ये वीजा उन लोगों को मिलता है, जिनके पास साइंस, आर्ट्स, एथलेटिक्स, इंटरटेनमेंट, मोशन पिक्चर या बिजनेस में खास योग्यता है।
P-1 Visa: इस वीजा को एथलीट या स्पोर्ट्स या एंनटरटेंमेंट ग्रुप्स के लोगों को दिया जाता है।
P-2 Visa: अमेरिका और भाग लेने वाले देशों के बीच पारस्परिक एक्सचेंज प्रोग्राम में हिस्सा लेने वाले कलाकारों को ये वीजा दिया जाता है।
Q Visa: कुछ खास कल्चरल एक्सचेंज प्रोग्राम के उम्मीदवारों को ये वीजा मिलता है।
ऊपर बताए गए वर्क वीजा को ‘टेंपररी (नॉनइमिग्रेंट) वर्क वीजा’ के तौर पर जाना जाता है। ये वीजा कुछ सालों के लिए दिया जाता है। इसकी अवधि एक से तीन साल के बीच होती है। हालांकि, वीजा की एक और कैटेगरी होती है, जिसे ‘परमानेंट (इमिग्रेंट) वर्क वीजा’ कहा जाता है।
‘परमानेंट (इमिग्रेंट) वर्क वीजा’ कितने तरह का होता है?
अमेरिका सरकार के जरिए दिए जाने वाले ‘परमानेंट (इमिग्रेंट) वर्क वीजा’ के जरिए लोगों को स्किल, एजुकेशन और वर्क एक्सपीरियंस के आधार पर स्थायी रूप से अमेरिका में काम करने और रहने का मौका दिया जाता है।
EB-1 Visa: इस कैटेगरी के तहत उन लोगों को वीजा दिया जाता है, जिनके पास असाधारण योग्यता है। आमतौर पर ये वीजा प्रोफेसर, रिसर्चर आदि को मिलता है।
EB-2 Visa: वीजा की इस कैटेगरी के तहत वीजा उन्हें मिलता है, जिनके पास अडवांस डिग्री है और वे आर्ट्स, साइंस और बिजनेस फील्ड के असाधारण लोग हैं।
EB-3 Visa: अमेरिकी सरकार इस वीजा को उन लोगों को देती है, जो प्रोफेशनल और स्किल वर्कर हैं।
EB-4 Visa: ये वीजा ‘खास प्रवासियों’ को मिलता है, जो धार्मिक काम में लगे रहे हों, अमेरिकी विदेश सर्विस पोस्ट के कर्मचारी हों या अंतरराष्ट्रीय संगठनों के रिटायर्ड कर्मचारी हैं।
EB-5 Visa: अमेरिका का ये वीजा उसे मिलता है, जो किसी कंपनी में 1.8 मिलियन डॉलर निवेश करता है और उससे 10 लोगों को नौकरी मिलती है।